जीना उसका जीना है जो हंसते गाते जी ले
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इस फिल्म के मुख्य कलाकार थे मनोज कुमार,नंदा, प्राण,हेलेन,मेहमूद, मदनपुरी,धुमाल, मनमोहन,हीरालाल,लक्ष्मी छाया,नैना और हरमन बेंजामिन..इस फिल्म के सभी कलाकारों का नाम बताना इसलिए आवश्यक है कि इसके सभी पात्र इस फिल्म के मुख्य केंद्र है और संभवतया यह हिंदी फिल्म इतिहास की वह सुपर हिट फिल्म है जिसमे हिट गीतों को नायक अथवा नायिका द्वारा नहीं अपितु सह कलाकारों पर फिल्माया गया जरा नज़र डालिये....
1,लता का गाया हसरत का लिखा टाइटल गीत..गुमनाम है कोई ..जो पार्श्व में बजता रहता है..इसमे कभी कभी नैना नजर आती है..आज भी यह गीत सुस्पेन्स फिल्मो में अपना स्थान बनाये है।
2,जान पहचान हो...यह गीत हरमन बेंजामिन और लक्ष्मी छाया पर फिल्माया गया...इस गीत को शैलेन्द्र ने लिखा और स्वर दिया रफ़ी ने ...यह गीत विदेशी फिल्मो में भी प्रयोग में लिया गया..इसका संगीत बेहद जुदा और असरकारक है कि सभी को थिरकने पर मजबूर कर देता है।
3,एक लड़की है जिसने जीना मुश्किल कर दिया ..इसे रफ़ी ने गाया और मनोज कुमार पर फिल्माया गया
इस गीत को हसरत जयपुरी ने लिखा था।
4,आयेगा कौन यहाँ जैसा बेहतरीन गीत जैसे शैलेन्द्र ने लिखा था और शारदा ने गाया था फ़िल्मी कुचक्रो के चलते परदे पर अवतरित न हो सका तथापि यह गीत शंकर जयकिशन को चाहने वालो को अतिं प्रिय है और सदा चर्चा में रहता है।
5,पी. के हम तुम जो चले आये है..हसरत जयपुरी का लिखा गीत है जो आशा भोसले और ऊषा मंगेश्कर।ने गाया।
6,जाने चमन शोला बदन पहलू में आ जाओ...एक मदमस्त कामुकता से परिपूर्ण गीत है जिसका फिल्मांकन अतिं उत्तम है इस गीत को मनोज कुमार और नंदा पर फिल्माया गया था..लिखा हसरत जयपुरी साहिब ने।
7,खयालो में,खयालो में का स्वप्न गीत जिसे शैलेन्द्र ने लिखा और रफ़ी साहिब ने गाया,इस गीत की अपार लोकप्रियता ने मेहमूद की चोकडीदार लुंगी और मूंछो को ही स्थापित नहीं किया अपितु उनके फ़िल्मी केरियर को एक नई उड़ान दी।
8,और गीत इस दुनिया में जीना हो तो ..को हेलन पर फिल्माया गया जो आज भी अपनी धुनों के कारण एक अलग अहसास कराता है।
अब आप शंकर जयकिशन की विशेषता इन गीतों में तलाश कर सकते है जितने भी अतिं हिट गीत है वह नायक अथवा नायिका पर नहीं फिल्माए गए है अपितु दूसरी तीसरी श्रेणी के कलाकारों पर फिल्माए गए है।संगीत के क्षेत्र में शंकर जयकिशन ईश्वर की भांती है जो संसार के सभी जीवों को समान मानते है,अपनी दया से सभी का उद्धार करते है।शंकर जयकिशन ने कभी यह दृष्टि में ही नहीं रखा की फिल्म में कौन नायक अथवा नायिका है और कौन सहकलाकार?उन्होंने सदा सिचुएशन के हिसाब से संगीत दिया इसके असंख्य उदहारण है किंतु उन सबके मध्य गुमनाम ज्यादा प्रासंगिक है।
विशाल लहराता समुन्द्र जिसकी लहरे एक वीरान टापू की चट्टानों से टकराकर आ जा रही है,चारो और एक स्तब्धता है कि किट्टी केली यानी की हेलेन उस निस्तब्धता को तोड़ती है और स्वीमिंग कस्टयूम पहने इठलाती हुए गाती है....इस दुनिया में जीना हो तो सुन लो मेरी बात....
कोई सामान्य संगीतकार होता तो यहाँ इस सिचुएशन पर चालू सा गीत बनाकर अपने कार्य की इतिश्री कर अपना पारिश्रमिक प्राप्त कर लेता किन्तु शंकर जयकिशन पारिश्रमिक की दुगनी कीमत निर्माता को प्रदान करते थे ,तभी उनका मेहताना किसी भी सुपर स्टार से ज्यादा होता था।
शंकर जयकिशन जानते थे फिल्म गुमनाम की कथा वस्तु जीवन मृत्यु के आस पास विचरती कहानी है जिसे गुमनाम नाम दिया गया है..किसको खबर कौन है वो अंजान है कोई?
समुन्द्र के तटीय भाग पर प्राण,मदन पूरी,नंदा आदि अपने अपने मुड़ में है कि हेलन गाने लगती
इस दुनिया में जीना हो तो सुन लो मेरी बात....
संसार वो स्थान है जो समस्त जीवधारियों का अस्थाई स्थान है जिसे जीवधारी स्थाई समझने की भूल करता है?यह तो आवागमन का प्लेटफार्म है ?जहाँ लोग आते है और चले जाते है,सृष्टि के आरम्भ से यही क्रम चलता आ रहा है और बदस्तूर जारी है।
ईश्वर ने तो हमें आनंद और प्रेम से रहने के लिए कुछ अवधि व्यतीत करने के लिए इस खूबसूरत वसुंधरा पर भेजा है जो स्वर्ग से भी सुंदर है और स्वतंत्र है?तभी तो किट्टी केली अपने साथियो को मदमस्त नृत्य के साथ अलमस्त पोशाक में जीवन का संदेश देती है जो हिंदी फिल्मों में प्रायः होता नहीं है?पर जहाँ शंकर जयकिशन हो वहां सर्वथा अनूठा प्राकट्य होता आया है!
.....जीना उसका जीना है जो हँसते गाते जी ले,जुल्फो की घनघोर घटा में नैन के सागर पीले
जो करना है आज ही कर लो कल का किसने देखा?
कल एक कल्पना है वर्तमान और भूत सत्य!भूत यादो का खँडहर है और आज जीवन!इसलिए जो भी करना है आज ही कर लो,अभी कर लो कल एक दिवास्वप्न मात्र है जो हमारी कल्पनाओं का असीम सागर है जो कभी शांत तो कभी तूफानी हो जाता है और पल भर में सब इसी में विलीन हो जाता है,अतः आज को जी भरकर प्रसन्नता से जीयो, यह वसुंधरा भगवान् ने हमें आनंद से जीने के लिए ही दी है,पर स्मरण रहे आप यहाँ के किरायेदार है मालिक नहीं?
.....में अलबेली चिंगारी हूँ नाचूँ और लहराउँ, दामन दामन फूल खिलाऊँ और खुशियां बरसाउं
दुनियाँ वालो तुम क्या जानो जीने की ये बाते,तुम आओ महफ़िल में तुम्हे ये समझाऊं..
संसार वालो में एक चिंगारी हूँ,जो,नाच भी सकती हूँ,हर के जीवन में फूल खिला सकती हूँ,खुशियों की बरसात कर सकती हूँ,मेरी महफ़िल में तो आओ ,मेरे सानिध्य में तो आओ ,में एक नारी हूँ जो तुम्हे प्यार करना सीखा सकती हूँ जो की वास्तव में वासना नहीं उपासना है।
..........जो भी होगा हम देखेंगे गम से क्यों घबराए,इस दुनियाँ के बाग़ में लाँखो पंछी आये जाय....
क्या बात है हसरत साहब संगत का असर होता है इसे यह गीत सिद्ध करता है?यहाँ आप में शैलेन्द्र समावेश हो गए..इस दुनियाँ के बाग़ में लाखो पंछी आये जाएं?क्या खूब लिखा
जो होगा देखा जायेगा गमो से क्या घबराना?सुख दुख तो जीवन के हिस्से है और सभी को एक न एक दिन विराम को प्राप्त होना है?हम कोई शब्द नहीं या शब्दो के वाक्य नहीं जो विराम पर ठहर जाता है,जीवन नहीं ठहरता,इस दुनियाँ के बाग़ में न जाने कितने पंछी आये और चले गए और यह क्रम चलता ही रहेगा हम सभी माटी के पुतले है?किस प्रकार एक मदमस्त गीत द्वारा भी जीवन का संदेश दिया जा सकता है यह बात सिर्फ शंकर जयकिशन जैसे सांगीतकार ही सौंच सकते है।इस गीत को हम क्लेपपिंग डांस गीत भी कह सकते है।क्लेपिइंग और बेगपाइपर का जितना खूबसूरत इस्तेमाल इस गीत में जितनी कुशलता से शंकर जयकिशन जी ने किया है वो कही सुनने को कभी मिला है?नहीं ,इसे ही प्रयोगात्मक संगीत कहते है।खूबसूरत प्राकृतिक लोकेशन के मध्य इस गीत को हेलेन ने अतिं सुंदर अभीव्यक्ति दी है।प्राण,मदन पूरी,नंदा इत्यादि ने भी इस गीत में अपना भरपूर सहयोग तालियाँ बजा बजा कर दिया है,

इस गीत को भले ही ग्लैमर के रूप में फिल्माया हो,किन्तु इसमे मेरी दृष्टि दर्शन यानी फिलॉस्फी पर है।
में शंकर जयकिशन के संगीत बद्ध किये गीतों की व्याख्या इसी परिवेश में करता हूँ।
उक्त गीत में दो पंक्तियॉ बड़ी उत्तम है...
जो भी होगा अच्छा होगा गम से क्यों घबराए
इस दुनियाँ के बाग़ में लाखों पंछी आये जाए?
हम सभी पंछी ही तो है,यह संसार दृष्टि सृष्टि का दृश्य है।जिसकी जैसी दृष्टि है उसको वैसी ही सृष्टि नज़र आती है।जो मनुष्य अपने विचार के कारण अशांत हो या किसी भ्रम में हो तो उससे बचने का एक ही तरीका है कि वह अपने निज स्वरुप की और ध्यान दे क्योकि यह सारा संसार परिवर्तन शील है।सभी लोक लोकान्तर आदि परिवर्तन के नियम के अधीन गति में है।यह सबका सब काल चक्र कहलाता है,प्रस्तुत गीत इसी को स्थापित करता है।इस कालचक्र के चलते रहने से या परिवर्तन होते रहने से मनुष्य की आत्मा को सुख..दुःख,शोक..हर्ष आदि का आभास होता रहता है,यही अवस्थाएं आवागमन कहलाती है।
....काल चक्र इक सहज हिंडोला,झूला अचरज न्यारा।
सब कोई झूले झूला चढ़कर, काल झुलावन हार।।
बहुत ही मधुर,उत्तम कालजयी गीत जिसे लता मंगेशकर ने अपने भरपूर मधुर अंदाज़ में गाया है,हसरत जयपुरीं के प्रत्येक शब्द के साथ शंकर जयकिशन का संगीत ताल मिलाता जाता है और इस गीत की सहज धारा में दर्शक अथवा श्रोता आनंद में बहते रहना चाहता है ऐसा अनुभव करता है और दर्शाता है कि उसे विश्राम पसंद ही नहीं?
अतः मान लो जो किट्टी केली कह रही है,बहुत सही कह रही है।
श्याम शंकर शर्मा
जयपुर,राजस्थान।

Shyam Shankar Sharma
कुछ गीत लगते तो कामुक है,उनका फिल्मांकन भी तदनरुप किया भी जाता है और गर हेलेन की उपस्थिति हो तो उसे तय भी माना जाता है।ऐसा ही एक गीत जिसे हसरत जयपुरी ने लिखा युगंधर सांगीतकार शंकर जयकिशन ने अपनी अनोखी संगीत शैली में ढाला जिसे लता ने गाया,यह थी 1965 की निर्माता ऍन ऍन सिप्पी और निर्देशक राजा नवाथे की फिल्म ...गुमनाम...
गीत था ...इस दुनियाँ में जीना हो तो सुन लो मेरी बात गम छोड़ के मनाओ रंग रैली
अरे मान लो जो कहे किट्टी केली...
गीत था ...इस दुनियाँ में जीना हो तो सुन लो मेरी बात गम छोड़ के मनाओ रंग रैली
अरे मान लो जो कहे किट्टी केली...

इस फिल्म के मुख्य कलाकार थे मनोज कुमार,नंदा, प्राण,हेलेन,मेहमूद, मदनपुरी,धुमाल, मनमोहन,हीरालाल,लक्ष्मी छाया,नैना और हरमन बेंजामिन..इस फिल्म के सभी कलाकारों का नाम बताना इसलिए आवश्यक है कि इसके सभी पात्र इस फिल्म के मुख्य केंद्र है और संभवतया यह हिंदी फिल्म इतिहास की वह सुपर हिट फिल्म है जिसमे हिट गीतों को नायक अथवा नायिका द्वारा नहीं अपितु सह कलाकारों पर फिल्माया गया जरा नज़र डालिये....
1,लता का गाया हसरत का लिखा टाइटल गीत..गुमनाम है कोई ..जो पार्श्व में बजता रहता है..इसमे कभी कभी नैना नजर आती है..आज भी यह गीत सुस्पेन्स फिल्मो में अपना स्थान बनाये है।
2,जान पहचान हो...यह गीत हरमन बेंजामिन और लक्ष्मी छाया पर फिल्माया गया...इस गीत को शैलेन्द्र ने लिखा और स्वर दिया रफ़ी ने ...यह गीत विदेशी फिल्मो में भी प्रयोग में लिया गया..इसका संगीत बेहद जुदा और असरकारक है कि सभी को थिरकने पर मजबूर कर देता है।
3,एक लड़की है जिसने जीना मुश्किल कर दिया ..इसे रफ़ी ने गाया और मनोज कुमार पर फिल्माया गया
इस गीत को हसरत जयपुरी ने लिखा था।
4,आयेगा कौन यहाँ जैसा बेहतरीन गीत जैसे शैलेन्द्र ने लिखा था और शारदा ने गाया था फ़िल्मी कुचक्रो के चलते परदे पर अवतरित न हो सका तथापि यह गीत शंकर जयकिशन को चाहने वालो को अतिं प्रिय है और सदा चर्चा में रहता है।
5,पी. के हम तुम जो चले आये है..हसरत जयपुरी का लिखा गीत है जो आशा भोसले और ऊषा मंगेश्कर।ने गाया।
6,जाने चमन शोला बदन पहलू में आ जाओ...एक मदमस्त कामुकता से परिपूर्ण गीत है जिसका फिल्मांकन अतिं उत्तम है इस गीत को मनोज कुमार और नंदा पर फिल्माया गया था..लिखा हसरत जयपुरी साहिब ने।
7,खयालो में,खयालो में का स्वप्न गीत जिसे शैलेन्द्र ने लिखा और रफ़ी साहिब ने गाया,इस गीत की अपार लोकप्रियता ने मेहमूद की चोकडीदार लुंगी और मूंछो को ही स्थापित नहीं किया अपितु उनके फ़िल्मी केरियर को एक नई उड़ान दी।
8,और गीत इस दुनिया में जीना हो तो ..को हेलन पर फिल्माया गया जो आज भी अपनी धुनों के कारण एक अलग अहसास कराता है।
अब आप शंकर जयकिशन की विशेषता इन गीतों में तलाश कर सकते है जितने भी अतिं हिट गीत है वह नायक अथवा नायिका पर नहीं फिल्माए गए है अपितु दूसरी तीसरी श्रेणी के कलाकारों पर फिल्माए गए है।संगीत के क्षेत्र में शंकर जयकिशन ईश्वर की भांती है जो संसार के सभी जीवों को समान मानते है,अपनी दया से सभी का उद्धार करते है।शंकर जयकिशन ने कभी यह दृष्टि में ही नहीं रखा की फिल्म में कौन नायक अथवा नायिका है और कौन सहकलाकार?उन्होंने सदा सिचुएशन के हिसाब से संगीत दिया इसके असंख्य उदहारण है किंतु उन सबके मध्य गुमनाम ज्यादा प्रासंगिक है।
विशाल लहराता समुन्द्र जिसकी लहरे एक वीरान टापू की चट्टानों से टकराकर आ जा रही है,चारो और एक स्तब्धता है कि किट्टी केली यानी की हेलेन उस निस्तब्धता को तोड़ती है और स्वीमिंग कस्टयूम पहने इठलाती हुए गाती है....इस दुनिया में जीना हो तो सुन लो मेरी बात....
कोई सामान्य संगीतकार होता तो यहाँ इस सिचुएशन पर चालू सा गीत बनाकर अपने कार्य की इतिश्री कर अपना पारिश्रमिक प्राप्त कर लेता किन्तु शंकर जयकिशन पारिश्रमिक की दुगनी कीमत निर्माता को प्रदान करते थे ,तभी उनका मेहताना किसी भी सुपर स्टार से ज्यादा होता था।
शंकर जयकिशन जानते थे फिल्म गुमनाम की कथा वस्तु जीवन मृत्यु के आस पास विचरती कहानी है जिसे गुमनाम नाम दिया गया है..किसको खबर कौन है वो अंजान है कोई?
समुन्द्र के तटीय भाग पर प्राण,मदन पूरी,नंदा आदि अपने अपने मुड़ में है कि हेलन गाने लगती
इस दुनिया में जीना हो तो सुन लो मेरी बात....
संसार वो स्थान है जो समस्त जीवधारियों का अस्थाई स्थान है जिसे जीवधारी स्थाई समझने की भूल करता है?यह तो आवागमन का प्लेटफार्म है ?जहाँ लोग आते है और चले जाते है,सृष्टि के आरम्भ से यही क्रम चलता आ रहा है और बदस्तूर जारी है।
ईश्वर ने तो हमें आनंद और प्रेम से रहने के लिए कुछ अवधि व्यतीत करने के लिए इस खूबसूरत वसुंधरा पर भेजा है जो स्वर्ग से भी सुंदर है और स्वतंत्र है?तभी तो किट्टी केली अपने साथियो को मदमस्त नृत्य के साथ अलमस्त पोशाक में जीवन का संदेश देती है जो हिंदी फिल्मों में प्रायः होता नहीं है?पर जहाँ शंकर जयकिशन हो वहां सर्वथा अनूठा प्राकट्य होता आया है!
.....जीना उसका जीना है जो हँसते गाते जी ले,जुल्फो की घनघोर घटा में नैन के सागर पीले
जो करना है आज ही कर लो कल का किसने देखा?
कल एक कल्पना है वर्तमान और भूत सत्य!भूत यादो का खँडहर है और आज जीवन!इसलिए जो भी करना है आज ही कर लो,अभी कर लो कल एक दिवास्वप्न मात्र है जो हमारी कल्पनाओं का असीम सागर है जो कभी शांत तो कभी तूफानी हो जाता है और पल भर में सब इसी में विलीन हो जाता है,अतः आज को जी भरकर प्रसन्नता से जीयो, यह वसुंधरा भगवान् ने हमें आनंद से जीने के लिए ही दी है,पर स्मरण रहे आप यहाँ के किरायेदार है मालिक नहीं?
.....में अलबेली चिंगारी हूँ नाचूँ और लहराउँ, दामन दामन फूल खिलाऊँ और खुशियां बरसाउं
दुनियाँ वालो तुम क्या जानो जीने की ये बाते,तुम आओ महफ़िल में तुम्हे ये समझाऊं..
संसार वालो में एक चिंगारी हूँ,जो,नाच भी सकती हूँ,हर के जीवन में फूल खिला सकती हूँ,खुशियों की बरसात कर सकती हूँ,मेरी महफ़िल में तो आओ ,मेरे सानिध्य में तो आओ ,में एक नारी हूँ जो तुम्हे प्यार करना सीखा सकती हूँ जो की वास्तव में वासना नहीं उपासना है।
..........जो भी होगा हम देखेंगे गम से क्यों घबराए,इस दुनियाँ के बाग़ में लाँखो पंछी आये जाय....
क्या बात है हसरत साहब संगत का असर होता है इसे यह गीत सिद्ध करता है?यहाँ आप में शैलेन्द्र समावेश हो गए..इस दुनियाँ के बाग़ में लाखो पंछी आये जाएं?क्या खूब लिखा
जो होगा देखा जायेगा गमो से क्या घबराना?सुख दुख तो जीवन के हिस्से है और सभी को एक न एक दिन विराम को प्राप्त होना है?हम कोई शब्द नहीं या शब्दो के वाक्य नहीं जो विराम पर ठहर जाता है,जीवन नहीं ठहरता,इस दुनियाँ के बाग़ में न जाने कितने पंछी आये और चले गए और यह क्रम चलता ही रहेगा हम सभी माटी के पुतले है?किस प्रकार एक मदमस्त गीत द्वारा भी जीवन का संदेश दिया जा सकता है यह बात सिर्फ शंकर जयकिशन जैसे सांगीतकार ही सौंच सकते है।इस गीत को हम क्लेपपिंग डांस गीत भी कह सकते है।क्लेपिइंग और बेगपाइपर का जितना खूबसूरत इस्तेमाल इस गीत में जितनी कुशलता से शंकर जयकिशन जी ने किया है वो कही सुनने को कभी मिला है?नहीं ,इसे ही प्रयोगात्मक संगीत कहते है।खूबसूरत प्राकृतिक लोकेशन के मध्य इस गीत को हेलेन ने अतिं सुंदर अभीव्यक्ति दी है।प्राण,मदन पूरी,नंदा इत्यादि ने भी इस गीत में अपना भरपूर सहयोग तालियाँ बजा बजा कर दिया है,

इस गीत को भले ही ग्लैमर के रूप में फिल्माया हो,किन्तु इसमे मेरी दृष्टि दर्शन यानी फिलॉस्फी पर है।
में शंकर जयकिशन के संगीत बद्ध किये गीतों की व्याख्या इसी परिवेश में करता हूँ।
उक्त गीत में दो पंक्तियॉ बड़ी उत्तम है...
जो भी होगा अच्छा होगा गम से क्यों घबराए
इस दुनियाँ के बाग़ में लाखों पंछी आये जाए?
हम सभी पंछी ही तो है,यह संसार दृष्टि सृष्टि का दृश्य है।जिसकी जैसी दृष्टि है उसको वैसी ही सृष्टि नज़र आती है।जो मनुष्य अपने विचार के कारण अशांत हो या किसी भ्रम में हो तो उससे बचने का एक ही तरीका है कि वह अपने निज स्वरुप की और ध्यान दे क्योकि यह सारा संसार परिवर्तन शील है।सभी लोक लोकान्तर आदि परिवर्तन के नियम के अधीन गति में है।यह सबका सब काल चक्र कहलाता है,प्रस्तुत गीत इसी को स्थापित करता है।इस कालचक्र के चलते रहने से या परिवर्तन होते रहने से मनुष्य की आत्मा को सुख..दुःख,शोक..हर्ष आदि का आभास होता रहता है,यही अवस्थाएं आवागमन कहलाती है।
....काल चक्र इक सहज हिंडोला,झूला अचरज न्यारा।
सब कोई झूले झूला चढ़कर, काल झुलावन हार।।
बहुत ही मधुर,उत्तम कालजयी गीत जिसे लता मंगेशकर ने अपने भरपूर मधुर अंदाज़ में गाया है,हसरत जयपुरीं के प्रत्येक शब्द के साथ शंकर जयकिशन का संगीत ताल मिलाता जाता है और इस गीत की सहज धारा में दर्शक अथवा श्रोता आनंद में बहते रहना चाहता है ऐसा अनुभव करता है और दर्शाता है कि उसे विश्राम पसंद ही नहीं?
अतः मान लो जो किट्टी केली कह रही है,बहुत सही कह रही है।
श्याम शंकर शर्मा
जयपुर,राजस्थान।
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